वो जो आसमाँ पे सितारा है
उसे अपनी आँखों से देख लो
उसे अपने होंटों से चूम लो
उसे अपने हाथों से तोड़ लो
कि उसी पे हमला है रात का
Jaun Eliya
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सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
आरज़ू
ख़लीलुर्रहमान आज़मी की याद में
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
ला-ज़वाल होने का
दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो
किस किस तरह से मुझ को न रुस्वा किया गया
उम्र का बाक़ी सफ़र करना है इस शर्त के साथ
अपनी याद में
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
अक्स-ए-याद-ए-यार को धुँदला किया है
बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी