हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Rahat Indori
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उम्मीद से कम चश्म-ए-ख़रीदार में आए
खुले जो आँख कभी दीदनी ये मंज़र हैं
रतजगों का ज़वाल
सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें
तमाम ख़ल्क़-ए-ख़ुदा देख के ये हैराँ है
ख़्वाब
मैं अकेला सही मगर कब तक
या मैं सोचूँ कुछ भी न उस के बारे में
शहर-ए-उम्मीद हक़ीक़त में नहीं बन सकता
या तेरे अलावा भी किसी शय की तलब है