वो कोई और है जिस ने तुझे चाहा होगा
शहर में लोग बहुत से मिरी सूरत के भी हैं
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Anwar Masood
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Gulzar
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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ख़ुद ही तस्वीर बनाता हूँ मिटा देता हूँ
जल भी चुके परवाने हो भी चुकी रुस्वाई
तुम्हारी आरज़ू में मैं ने अपनी आरज़ू की थी
नींद आए तो अचानक तिरी आहट सुन लूँ
ज़मीं अपने लहू से आश्ना होने ही वाली है
झूटी बातें रहने दो
वाक़िआ कोई न जन्नत में हुआ मेरे ब'अद
रात की नींदें तो पहले ही उड़ा कर ले गया
दिल का बुरा नहीं मगर शख़्स अजीब ढब का है
सीने में बे-क़रार हैं मुर्दा मोहब्बतें
शहर का शहर अगर आए भी समझाने को
नींद आती है अगर जलती हुई आँखों में