ऐसी हवा बही कि है चारों तरफ़ फ़साद
जुज़ साया-ए-ख़ुदा कहीं दार-उल-अमाँ नहीं
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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हाजत चराग़ की है कब अंजुमन में दिल के
हमारी अक़्ल-ए-बे-तदबीर पर तदबीर हँसती है
मेरे हवास-ए-ख़मसा उसे देख उड़ गए
दहन है तंग शकर और शकर है तिरा है कलाम
आज दिलबर के नाम को रट रट
अब की चमन में गुल का ने नाम ओ ने निशाँ है
बुल-हवस गो करें तेरे लब-ए-शीरीं पर हुजूम
आ कर तिरी गली में क़दम-बोसी के लिए
शम्अ हर शाम तेरे रोने पर
दौरा है जब से बज़्म में तेरी शराब का
वो वहशी इस क़दर भड़का है सूरत से मिरे यारो
तिरी जो ज़ुल्फ़ का आया ख़याल आँखों में