जब तक कि गरेबान में यक तार रहेगा
तब तक मिरी गर्दन के उपर बार रहेगा
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(413) Peoples Rate This
इश्क़ के शहर की कुछ आब-ओ-हवा और ही है
तब्अ तेरी अजब तमाशा है
हाथ आता नहीं बग़ैर नसीब
देखने से तिरे जी पाता हूँ
दिल था बग़ल में मुद्दई ख़ूब हुआ जो ग़म हुआ
ज़ाहिदो उठ जाओ मज्लिस से कि आज
तू ने ग़ारत किया घर बैठे घर इक आलम का
केसर में इस तरह से आलूदा है सरापा
टूटे दिल को बना दिखावे
साफ़ दिल है तो आ कुदूरत छोड़
होली के अब बहाने छिड़का है रंग किस ने
हो रहा है अब्र और करता है वो जानाना रक़्स