इख़्लास की धोके पर हूँ माइल तेरा
सच तो ये है कि जानता है मुश्किल तेरा
रेशम की सी लच्छी हैं सब आ'ज़ा तेरे
क्यूँ कर जानूँ कि सख़्त है दिल तेरा
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घर की वीरानी को क्या रोऊँ कि ये पहले सी
कलाम-ए-सख़्त कह कह कर वो क्या हम पर बरसते हैं
आशिक़-ए-हक़ हैं हमीं शिकवा-ए-तक़दीर नहीं
जब तिरा नाम सुना तो नज़र आया गोया
सँभाल वाइ'ज़ ज़बान अपनी ख़ुदा से डरा इक ज़रा हया कर
जब कहो क्यूँ हो ख़फ़ा क्या बाइ'स
शाएर बने नदीम बने क़िस्सा-ख़्वाँ बने
ले के अपनी ज़ुल्फ़ को वो प्यारे प्यारे हाथ में
भला क्या ता'ना दूँ ज़ुहहाद को ज़ुहद-ए-रियाई का
अपना अपना रंग दिखलाती हैं जानी चूड़ियाँ
फूँक दो याँ गर ख़स-ओ-ख़ाशाक हैं
वही गुल है गुलिस्ताँ में वही है शम्अ' महफ़िल में