इस से पहले कि ये आज़ार गवारा कर लें
आ मिरी जान मोहब्बत से किनारा कर लें
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जल्द आएँ जिन्हें सीने से लगाना है मुझे
हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वाले
कुछ इस लिए भी तिरी आरज़ू नहीं है मुझे
इस ख़राबी की कोई हद है कि मेरे घर से
बचा के आँख बिछड़ जाएँ उस से चुपके से
इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गए
जुनूँ के बाब में अब के ये राएगानी हो
वो एक हाथ बढ़ाएगा तुझ को पा लेगा
मैं तो शब-ए-फ़िराक़ था तुम एक उम्र थी
इक दिन तिरी गली में मुझे ले गई हवा
अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ बहुत है हम को