आख़िर मिले हैं हाथ किसी काम के लिए
फाड़े अगर न जेब तो फिर क्या करे कोई
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(815) Peoples Rate This
अभी से आ गईं नाम-ए-ख़ुदा हैं शोख़ियाँ क्या-क्या
इश्क़ और इश्क़-ए-शोला-वर की आग
दिल को आज़ार लगा वो कि छुपा भी न सकूँ
रंग जमने न दिया बात को चलने न दिया
आज तक कोई न अरमान हमारा निकला
कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा
दिल गया दिल का निशाँ बाक़ी रहा
शिरकत गुनाह में भी रहे कुछ सवाब की
दर्द और दर्द भी जुदाई का
सर पे एहसान रहा बे-सर-ओ-सामानी का
'ज़हीर'-ए-ख़स्ता-जाँ सच है मोहब्बत कुछ बुरी शय है
साक़िया मर के उठेंगे तिरे मय-ख़ाने से