मायूस हो गई है दुआ भी जबीन भी
उठने लगा है दिल से ख़ुदा का यक़ीन भी
तस्कीं की एक साँस हमें बख़्श दीजिए
ये आसमाँ भी आप का और ये ज़मीन भी
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फिर आज 'अदम' शाम से ग़मगीं है तबीअत
गुल्सितानों में घूम लेता हूँ
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हों आप
बाज़ औक़ात किसी और के मिलने से 'अदम'
मैं उम्र भर जवाब नहीं दे सका 'अदम'
और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ 'अदम'
हवा सनके ख़ारों की बड़ी तकलीफ़ होती है
वो जो तेरे फ़क़ीर होते हैं
अफ़्साना चाहते थे वो अफ़्साना बन गया
इक शिकस्ता से मक़बरे के क़रीब
लहरा के झूम झूम के ला मुस्कुरा के ला
जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है