गुल्सितानों में घूम लेता हूँ
बादा-ख़ानों में झूम लेता हूँ
ज़िंदगी जिस जगह भी मिल जाए
उस के क़दमों को चूम लेता हूँ
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सूरत के आइने में दिल-ए-पाएमाल देख
मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है
साहिल पे इक थके हुए जोगी की बंसरी
ज़िंदगी ज़ोर है रवानी का
तीरगी के घने हिजाबों में
और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ 'अदम'
हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया
गोरियों कालियों ने मार दिया
मैं उम्र भर जवाब नहीं दे सका 'अदम'
नौजवानी में पारसा होना
किसी जानिब से कोई मह-जबीं आने ही वाला है
मैं रास्ते का बोझ हूँ मेरा न कर ख़याल