गो फ़रामोशी की तकमील हुआ चाहती है
फिर भी कह दो कि हमें याद वो आया न करे
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कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर
ये दाग़-ए-इश्क़ जो मिटता भी है चमकता भी है
आगे बढ़ने वाले
हम अपनी राह पकड़ते हैं देखते भी नहीं
क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
तिरी दुनिया के नक़्शे में
हवा जब तेज़ चलती है
मजीद-अमजद के लिए
ये भी तो कमाल हो गया है
जो भी यकजा है बिखरता नज़र आता है मुझे
ये यक़ीं ये गुमाँ ही मुमकिन है
इक फ़रामोश कहानी में रहा