आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं
महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी
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ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
परिंदे की फ़रियाद
बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
हज़रात-ए-इंसाँ
जवानों को मिरी आह-ए-सहर दे
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़्लाक में है
पुराने हैं ये सितारे फ़लक भी फ़र्सूदा
लेनिन
सितारा क्या मिरी तक़दीर की ख़बर देगा
चमन में रख़्त-ए-गुल शबनम से तर है
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे
कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है