Heart Broken Poetry of Aziz Lakhnavi

Heart Broken Poetry of Aziz Lakhnavi
नामअज़ीज़ लखनवी
अंग्रेज़ी नामAziz Lakhnavi
जन्म की तारीख1882
मौत की तिथि1935
जन्म स्थानLucknow

वही हिकायत-ए-दिल थी वही शिकायत-ए-दिल

तुम ने छेड़ा तो कुछ खुले हम भी

तह में दरिया-ए-मोहब्बत के थी क्या चीज़ 'अज़ीज़'

क़फ़स में जी नहीं लगता है आह फिर भी मिरा

फूट निकला ज़हर सारे जिस्म में

मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ

मुझ को का'बा में भी हमेशा शैख़

लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार

जब से ज़ुल्फ़ों का पड़ा है इस में अक्स

हिज्र की रात काटने वाले

हाए क्या चीज़ थी जवानी भी

'मीर'

लज़्ज़त-ए-ग़म

बचपने की याद

आतिश-ए-ख़ामोश

ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं

वो निगाहें क्या कहूँ क्यूँ कर रग-ए-जाँ हो गईं

वाइज़ बुतान-ए-दैर से नफ़रत न कीजिए

तिरी कोशिश हम ऐ दिल सई-ए-ला-हासिल समझते हैं

सामने आइना था मस्ती थी

साफ़ बातिन देर से हैं मुंतज़िर

रस्म ऐसों से बढ़ाना ही न था

न हुई हम से शब बसर न हुई

मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ

मेरे रोने पे ये हँसी कैसी

मिरे नासेह मुझे समझा रहे हैं

क्यूँ न हो शौक़ तिरे दर पे जबीं-साई का

कुछ हिसाब ऐ सितम ईजाद तो कर

कर चुके बर्बाद दिल को फ़िक्र क्या अंजाम की

जो यहाँ महव-ए-मा-सिवा न हुआ

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