रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे
बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1565) Peoples Rate This
दुनिया ने हर बात में क्या क्या रंग भरे
दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है
यूँ भी होने का पता देते हैं
ऐसा वार पड़ा सर का
अपनी धूप में भी कुछ जल
वक़्त का पत्थर भारी होता जाता है
ख़ुद-फ़रेबी सी ख़ुद-फ़रेबी है
क्यूँ सबा की न हो रफ़्तार ग़लत
वफ़ा के ज़ख़्म हम धोने न पाए
जुनूँ की राख से मंज़िल में रंग क्या आए
उन का या अपना तमाशा देखो
दिल की दीवार गिर गई शायद