नज़्म

आशिक़ वो अहल-ए-हवस के बीच में दो एक ऐसी ट्रॉफ़ियाँ थीं

सब को ये मालूम था टीमें बराबरी की रहेंगी

सब बदन के हौसले हैं जेब की कारीगरी है

जो रिटाइर हो गया वो गेरवे कपड़े पहन कर

रूह की माला के इक सौ आठ दाने बेचता है

सब बदन के हौसले थे

पेंशनें तनख़्वाह का अक्सर तिहाई ही रही हैं

और क़ीमत धीरे धीरे उम्र की सूरत फ़लक को छू रही है

एक और नौ की ये निस्बत

पोपले मुँह में कसीली राख ही का ज़ाइक़ा देती रही है

वो ख़ुदा के नेक बंदे हैं कि जिन की जेब में पैसा नहीं है

मुफ़्लिसी के बोर्ड घर घर मुफ़्त बाँटे जा रहे हैं

क़ब्ज़ से बढ़ कर कोई नेमत नहीं है

लड़कियाँ लिपस्टिक सुनो स्कर्टस जींस माँगती हैं

जेब की कारीगरी थी

सब बदन के हौसले थे जेब की कारीगरी थी

(1112) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nazm In Hindi By Famous Poet Bimal Krishn Ashk. Nazm is written by Bimal Krishn Ashk. Complete Poem Nazm in Hindi by Bimal Krishn Ashk. Download free Nazm Poem for Youth in PDF. Nazm is a Poem on Inspiration for young students. Share Nazm with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.