किसी को क्या मिरे सूद ओ ज़ियाँ से
गिरे क्यूँ बर्क़ बच कर आशियाँ से
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दिल और दिल में याद किसी ख़ुश-ख़िराम की
यारब नवा-ए-दिल से ये कान आश्ना से हैं
ऐ मौत तुझ पे उम्र-ए-अबद का मदार है
दिल का उजड़ना सहल सही बसना सहल नहीं ज़ालिम
लुत्फ़ ओ करम के पुतले हो अब क़हर ओ सितम का नाम नहीं
कफ़न ऐ गर्द-ए-लहद देख न मैला हो जाए
मुझ तक उस महफ़िल में फिर जाम-ए-शराब आने को है
क्या छुपाते किसी से हाल अपना
सितम-ईजाद रहोगे सितम-ईजाद रहे
ख़ुशी से रंज का बदला यहाँ नहीं मिलता
जज़्ब-ए-दिल जब ब-रू-ए-कार आया
तर्क-ए-उम्मीद बस की बात नहीं