पाते जाना है और न खोते जाना
हँसते जाना है और न रोते जाना
अव्वल और आख़िरी पयाम-ए-तहज़ीब
इंसान को इंसान है होते जाना
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
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देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब 'फ़िराक़'
वो चेहरा सुता हुआ वो हुस्न-ए-बीमार
कहती हैं यही तेरी निगाहें ऐ दोस्त
अब अक्सर चुप चुप से रहें हैं यूँही कभू लब खोलें हैं
आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो
छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
आँखों में जो बात हो गई है
सानी नहीं तेरा न कोई तेरी मिसाल
क्या तेरे ख़याल ने भी छेड़ा है सितार
प्रेमी को बुख़ार उठ नहीं सकती है पलक
सर-ता-ब-क़दम रुख़-ए-निगारीं है कि तन
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं