Ghazal Poetry (page 916)

दिल डूबने लगा है तवानाई चाहिए

आशुफ़्ता चंगेज़ी

धूप के रथ पर हफ़्त अफ़्लाक

आशुफ़्ता चंगेज़ी

बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता

आशुफ़्ता चंगेज़ी

भीनी ख़ुशबू सुलगती साँसों में

आशुफ़्ता चंगेज़ी

बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी

आशुफ़्ता चंगेज़ी

बादबाँ खोलेगी और बंद-ए-क़बा ले जाएगी

आशुफ़्ता चंगेज़ी

अजब रंग आँखों में आने लगे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आँखों के सामने कोई मंज़र नया न था

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आँखों के बंद बाब लिए भागते रहे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आँगन में छोड़ आए थे जो ग़ार देख लें

आशुफ़्ता चंगेज़ी

मैं हूँ हैराँ ये सिलसिला क्या है

आस मोहम्मद मोहसिन

ख़ुद से मैं बे-यक़ीं हुआ ही नहीं

आस मोहम्मद मोहसिन

बोसीदा जिस्म-ओ-जाँ की क़बाएँ लिए हुए

आस मोहम्मद मोहसिन

अरक़ जब उस परी के चेहरा-ए-पुर-नूर से टपके

आरिफ़ुद्दीन आजिज़

ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और

आनिस मुईन

ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा

आनिस मुईन

वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी

आनिस मुईन

वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है

आनिस मुईन

मिलन की साअ'त को इस तरह से अमर किया है

आनिस मुईन

कितने ही पेड़ ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ से उजड़ गए

आनिस मुईन

जीवन को दुख दुख को आग और आग को पानी कहते

आनिस मुईन

हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और

आनिस मुईन

इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें

आनिस मुईन

बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है

आनिस मुईन

अजब तलाश-ए-मुसलसल का इख़्तिताम हुआ

आनिस मुईन

उस के चेहरे पे तबस्सुम की ज़िया आएगी

आनन्द सरूप अंजुम

नए ज़माने के नित-नए हादसात लिखना

आनन्द सरूप अंजुम

मैं डर रहा हूँ हर इक इम्तिहान से पहले

आनन्द सरूप अंजुम

लहू लहू आरज़ू बदन का लिहाफ़ होगा

आनन्द सरूप अंजुम

कुछ भी नहीं है पास तुम्हारी दुआ तो है

आनन्द सरूप अंजुम

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