डूब जाएगा आज भी ख़ुर्शीद
आज भी तुम नज़र न आओगे
बीत जाएगी इस तरह हर शाम
ज़िंदगी भर हमें रुलाओगे
Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
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ये और बात तेरी गली में न आएँ हम
तेरी बस्ती में जिधर से गुज़रे
जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें
इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
दरख़्त सूख गए रुक गए नदी नाले
'नूर-जहाँ'
दास्तान-ए-दिल-ए-दो-नीम
उस सितमगर की हक़ीक़त हम पे ज़ाहिर हो गई
दस्तूर
दियार-ए-सब्ज़ा ओ गुल से निकल कर
शेर से शाइरी से डरते हैं
रंग ओ बू-ए-गुलाब कह लूँगा