Friendship Poetry (page 44)
दोस्ती में न दुश्मनी में हम
फ़हीम जोगापुरी
ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' के
फ़ाएज़ देहलवी
ख़ाक सेती सजन उठा के किया
फ़ाएज़ देहलवी
यार मेरा मियान-ए-गुलशन है
फ़ाएज़ देहलवी
तुझ बिना दिल को बे-क़रारी है
फ़ाएज़ देहलवी
सजन मुझ पर बहुत ना-मेहरबाँ है
फ़ाएज़ देहलवी
जागीर अगर बहुत न मिली हम कूँ ग़म नहीं
फ़ाएज़ देहलवी
जब सजीले ख़िराम करते हैं
फ़ाएज़ देहलवी
हर आश्ना से उस बिन बेगाना हो रहा हूँ
फ़ाएज़ देहलवी
ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू
फ़ाएज़ देहलवी
ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है
फ़ाएज़ देहलवी
अबरू ने तिरे खींची कमाँ जौर-ओ-जफ़ा पर
फ़ाएज़ देहलवी
दर्स-ए-आराम मेरे ज़ौक़-ए-सफ़र ने न दिया
एज़ाज़ अफ़ज़ल
लाशें
एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
राह-ए-तलब में अहल-ए-दिल जब हद-ए-आम से बढ़े
एजाज़ वारसी
मय-ख़ाना है बिना-ए-शर-ओ-ख़ैर तो नहीं
एजाज़ वारसी
मदावा-ए-जुनूँ सैर-ए-गुलिस्ताँ से नहीं होता
एजाज़ वारसी
ख़ून-ए-नाहक़ थी फ़क़त दुनिया-ए-आब-ओ-गिल की बात
एजाज़ वारसी
जिस को देखो बेवफ़ा है आइनों के शहर में
एजाज़ वारसी
दिल बुझ गया तो गर्मी-ए-बाज़ार भी नहीं
एजाज़ वारसी
ना-सज़ा आलम-ए-इम्काँ में सज़ा लगता है
एजाज़ सिद्दीक़ी
मिल सकेगी अब भी दाद-ए-आबला-पाई तो क्या
एजाज़ सिद्दीक़ी
रंग मौसम के साथ लाए हैं
एजाज़ रहमानी
नक़्श-बर-आब हो गया हूँ मैं
एजाज़ रहमानी
मिट गया ग़म तिरे तकल्लुम से
एजाज़ रहमानी
नए सफ़र में जो पिछले सफ़र के साथी थे
एजाज़ उबैद
मैं ने क्या काम ला-जवाब किया
एजाज़ उबैद
हँसने में रोने की आदत कभी ऐसी तो न थी
एजाज़ उबैद
ये घूमता हुआ आईना अपना ठहरा के
एजाज़ गुल
पेचाक-ए-उम्र अपने सँवार आइने के साथ
एजाज़ गुल