Friendship Poetry (page 45)
इस्तादा है जब सामने दीवार कहूँ क्या
एजाज़ गुल
किस दिल से हम इरादा-ए-तर्क-ए-जुनूँ करें
एजाज़ अासिफ़
आ गया ईसार मेरे हल्क़ा-ए-अहबाब में
एजाज़ अासिफ़
मेरी मौत के मसीहा!
एजाज़ अहमद एजाज़
फ़ासलों की बात
एजाज़ अहमद एजाज़
चाँद
एजाज़ अहमद एजाज़
तुझे भी हुस्न-ए-मुत्लक़ का अभी दीदार हो जाए
अहया भोजपुरी
गुलशन-ए-दिल में मिले अक़्ल के सहरा में मिले
एहतिशाम हुसैन
ग़म में इक मौज सरख़ुशी की है
एहतिशाम हुसैन
देख कर जादा-ए-हस्ती पे सुबुक-गाम मुझे
एहतिशाम हुसैन
अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक
एहतिशाम हुसैन
रिश्ते की सच्चाई
एहसान साक़िब
बात अब आई समझ में कि हक़ीक़त क्या थी
एहसान दरबंगावी
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
एहसान दानिश
'एहसान' अपना कोई बुरे वक़्त का नहीं
एहसान दानिश
यूँ उस पे मिरी अर्ज़-ए-तमन्ना का असर था
एहसान दानिश
रानाई-ए-कौनैन से बे-ज़ार हमीं थे
एहसान दानिश
मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था
एहसान दानिश
इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया
एहसान दानिश
बख़्श दी हाल-ए-ज़बूँ ने जल्वा-सामानी मुझे
एहसान दानिश
अपनी रुस्वाई का एहसास तो अब कुछ भी नहीं
एहसान दानिश
ज़ख़्म शादाब देखते हैं मुझे
डॉ. पिन्हाँ
हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने
दिवाकर राही
क्या किसी की तलब नहीं होती
दिनेश ठाकुर
पूछता कौन वफ़ा से उस की
दिनेश नायडू
जब कोई ज़ख़्म उभरता है किनारों जैसा
दिलदार हाश्मी
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
दिलावर फ़िगार
शायर-ए-आज़म
दिलावर फ़िगार
मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज
दिलावर फ़िगार
लैला मजनूँ की शादी
दिलावर फ़िगार