Friendship Poetry (page 47)
निगाह-ए-यार सूँ हासिल है मुझ कूँ मय-नोशी
दाऊद औरंगाबादी
मुझ साथ सैर-ए-बाग़ कूँ ऐ नौ-बहार चल
दाऊद औरंगाबादी
मिरा अहवाल चश्म-ए-यार सूँ पूछ
दाऊद औरंगाबादी
मस्त हूँ मस्त हूँ ख़राब ख़राब
दाऊद औरंगाबादी
ले दाम-ए-निगाह-ए-यार आया
दाऊद औरंगाबादी
जग है मुश्ताक़ पिव के दर्शन का
दाऊद औरंगाबादी
जब वो मह-ए-रुख़्सार यकायक नज़र आया
दाऊद औरंगाबादी
जब मिला यार तू अग़्यार सेती क्या मतलब
दाऊद औरंगाबादी
हुस्न इस शम्अ-रू का है गुल-रंग
दाऊद औरंगाबादी
गुलशन-ए-जग में ज़रा रंग-ए-मोहब्बत नीं है
दाऊद औरंगाबादी
दिल में ख़याल-ए-यार है जासूस की नमत
दाऊद औरंगाबादी
देख लटका सजन तेरी लट का
दाऊद औरंगाबादी
आतिश-ए-इश्क़ सूँ जो जलता है
दाऊद औरंगाबादी
आज बदली है हवा साक़ी पिला जाम-ए-शराब
दाऊद औरंगाबादी
या इलाही मुझ को ये क्या हो गया
दत्तात्रिया कैफ़ी
ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं
दत्तात्रिया कैफ़ी
या इलाही मुझ को ये क्या हो गया
दत्तात्रिया कैफ़ी
इश्क़ ही इश्क़ हो आशिक़ हो न माशूक़ जहाँ
दत्तात्रिया कैफ़ी
हुस्न-ए-अज़ल का जल्वा हमारी नज़र में है
दत्तात्रिया कैफ़ी
इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे
दत्तात्रिया कैफ़ी
ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं
दत्तात्रिया कैफ़ी
सामने जो कहा नहीं होता
दरवेश भारती
दर्द औरों का दिल में गर रखिए
दरवेश भारती
क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात से अहल-ए-जहाँ मफ़र नहीं
दर्शन सिंह
कहीं जमाल-ए-अज़ल हम को रूनुमा न मिला
दर्शन सिंह
कब ख़मोशी को मोहब्बत की ज़बाँ समझा था मैं
दर्शन सिंह
जब आदमी मुद्दआ-ए-हक़ है तो क्या कहें मुद्दआ' कहाँ है
दर्शन सिंह
इश्क़ शबनम नहीं शरारा है
दर्शन सिंह
हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली
दर्शन सिंह
दौलत मिली जहान की नाम-ओ-निशाँ मिले
दर्शन सिंह