Friendship Poetry (page 46)
कराची की बस
दिलावर फ़िगार
इश्क़ का परचा
दिलावर फ़िगार
'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो
दिलावर फ़िगार
ज़हर बीमार को मुर्दे को दवा दी जाए
दिलावर फ़िगार
वो शख़्स कभी जिस ने मिरा घर नहीं देखा
दिलावर फ़िगार
शोर से बच्चों के घबराते हैं घर पर और हम
दिलावर फ़िगार
हुस्न पर ए'तिबार हद कर दी
दिलावर फ़िगार
अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त
दिलावर फ़िगार
अजब अख़बार लिक्खा जा रहा है
दिलावर फ़िगार
क्या कहिए दास्तान-ए-तमन्ना बदल गई
दिल शाहजहाँपुरी
सारे नुक़ूश जिस पे तिरे आशियाँ के हैं
दिल अय्यूबी
फिर मरहला-ए-ख़्वाब-ए-बहाराँ से गुज़र जा
दिल अय्यूबी
इस जहाँ में प्यार महके ज़िंदगी बाक़ी रहे
देवमणि पांडेय
सुनहरी मछली
दीप्ति मिश्रा
वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है
दीप्ति मिश्रा
मुट्ठी में दो-चार नहीं
दीपक शर्मा दीप
आज मैं ने गुनाह कर डाला
दीपक शर्मा दीप
ज़ीस्त बे-वादा-ए-अनवार-ए-सहर है कि जो थी
द्वारका दास शोला
ज़िंदगी क्या है इब्तिला के सिवा
द्वारका दास शोला
ज़रा निगाह उठाओ कि ग़म की रात कटे
द्वारका दास शोला
मिरी बे-क़रारी मिरी आह-ओ-ज़ारी ये वहशत नहीं है तो फिर और क्या है
द्वारका दास शोला
इश्क़ में आबरू ख़राब हुई
द्वारका दास शोला
एक रहज़न को अमीर-ए-कारवाँ समझा था मैं
द्वारका दास शोला
दिल-ए-बे-मुद्दआ का मुद्दआ' क्या
द्वारका दास शोला
तहज़ीब की आयत
दाऊद ग़ाज़ी
रूह-ए-आवारा
दाऊद ग़ाज़ी
मशवरा
दाऊद ग़ाज़ी
यक क़दम राह-ए-दोस्त है 'दाऊद'
दाऊद औरंगाबादी
तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझाने ऐ संग दिल
दाऊद औरंगाबादी
तेरी अँखियाँ के तसव्वुर में सदा मस्ताना हूँ
दाऊद औरंगाबादी