Heart Broken Poetry (page 404)
कहते हैं कि उम्मीद पे जीता है ज़माना
आसी उल्दनी
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आसी उल्दनी
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आसी उल्दनी
नसरी नज़्म
आसी रिज़वी
तुझे हम याद हर-दम ऐ सितम ईजाद करते हैं
आसी रामनगरी
सरशार हूँ साक़ी की आँखों के तसव्वुर से
आसी रामनगरी
सर झुकाए सर-ए-महशर जो गुनहगार आए
आसी रामनगरी
क़फ़स-नसीबों का उफ़ हाल-ए-ज़ार क्या होगा
आसी रामनगरी
मंज़िल पे ले के पहुँचेगा अज़्म-ए-जवाँ मुझे
आसी रामनगरी
ख़्वाब में आओ मिरे रंगीन ख़्वाबों की तरह
आसी रामनगरी
ग़म को सबात है न ख़ुशी को क़रार है
आसी रामनगरी
दिल की दहलीज़ सूनी सूनी है
आसी रामनगरी
दिल की बात क्या कहिए दिल अजीब बस्ती है
आसी रामनगरी
दी गई तरतीब-ए-बज़्म-ए-कुन-फ़काँ मेरे लिए
आसी रामनगरी
धूप हालात की हो तेज़ तो और क्या माँगो
आसी रामनगरी
बाब-ए-क़फ़स खुलने को खुला है
आसी रामनगरी
अजीब शहर का नक़्शा दिखाई देता है
आसी रामनगरी
रुमूज़-ए-मस्लहत को ज़ेहन पर तारी नहीं करता
आसी करनाली
वो कहते हैं मैं ज़िंदगानी हूँ तेरी
आसी ग़ाज़ीपुरी
दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
आसी ग़ाज़ीपुरी
ज़ख़्म-ए-दिल हम दिखा नहीं सकते
आसी ग़ाज़ीपुरी
वो क्या है तिरा जिस में जल्वा नहीं है
आसी ग़ाज़ीपुरी
वहाँ पहुँच के ये कहना सबा सलाम के बाद
आसी ग़ाज़ीपुरी
तिरे कूचे का रहनुमा चाहता हूँ
आसी ग़ाज़ीपुरी
सारे आलम में तेरी ख़ुशबू है
आसी ग़ाज़ीपुरी
रविश उस चाल में तलवार की है
आसी ग़ाज़ीपुरी
क़तरा वही कि रू-कश-ए-दरिया कहें जिसे
आसी ग़ाज़ीपुरी
फिर मिज़ाज उस रिंद का क्यूँकर मिले
आसी ग़ाज़ीपुरी
न मेरे दिल न जिगर पर न दीदा-ए-तर पर
आसी ग़ाज़ीपुरी
कुछ कहूँ कहना जो मेरा कीजिए
आसी ग़ाज़ीपुरी