Heart Broken Poetry (page 405)
इतना तो जानते हैं कि आशिक़ फ़ना हुआ
आसी ग़ाज़ीपुरी
हिर्स दौलत की न इज़्ज़ ओ जाह की
आसी ग़ाज़ीपुरी
एक जल्वे की हवस वो दम-ए-रेहलत भी नहीं
आसी ग़ाज़ीपुरी
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई
आसी ग़ाज़ीपुरी
उस शोख़ से मिलते ही हुई अपनी नज़र तेज़
आसी फ़ाईकी
उस पे क्या गुज़रेगी वक़्त मर्ग अंदाज़ा लगा
आसी फ़ाईकी
ये बात याद रखेंगे तलाशने वाले
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ये और बात कि तुम भी यहाँ के शहरी हो
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहीं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तुझ को भी क्यूँ याद रखा
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तेज़ी से बीतते हुए लम्हों के साथ साथ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तलाश जिन को हमेशा बुज़ुर्ग करते रहे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सफ़र तो पहले भी कितने किए मगर इस बार
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सड़क पे चलते हुए आँखें बंद रखता हूँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पहले ही क्या कम तमाशे थे यहाँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
न इब्तिदा की ख़बर और न इंतिहा मालूम
आशुफ़्ता चंगेज़ी
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
हमें ख़बर थी ज़बाँ खोलते ही क्या होगा
आशुफ़्ता चंगेज़ी
है इंतिज़ार मुझे जंग ख़त्म होने का
आशुफ़्ता चंगेज़ी
घर में और बहुत कुछ था
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता
आशुफ़्ता चंगेज़ी
वापसी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तय-शुदा मौसम
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सहीह कह रहे हो
आशुफ़्ता चंगेज़ी
क़िस्सा-गो
आशुफ़्ता चंगेज़ी
परछाइयाँ पकड़ने वाले
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पहला ख़ुत्बा
आशुफ़्ता चंगेज़ी
नजात
आशुफ़्ता चंगेज़ी