Heart Broken Poetry (page 407)
बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बादबाँ खोलेगी और बंद-ए-क़बा ले जाएगी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
आँखों के सामने कोई मंज़र नया न था
आशुफ़्ता चंगेज़ी
आँखों के बंद बाब लिए भागते रहे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
मैं हूँ हैराँ ये सिलसिला क्या है
आस मोहम्मद मोहसिन
ख़ुद से मैं बे-यक़ीं हुआ ही नहीं
आस मोहम्मद मोहसिन
बोसीदा जिस्म-ओ-जाँ की क़बाएँ लिए हुए
आस मोहम्मद मोहसिन
अरक़ जब उस परी के चेहरा-ए-पुर-नूर से टपके
आरिफ़ुद्दीन आजिज़
ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था
आनिस मुईन
याद है 'आनिस' पहले तुम ख़ुद बिखरे थे
आनिस मुईन
वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था
आनिस मुईन
था इंतिज़ार मनाएँगे मिल के दीवाली
आनिस मुईन
न थी ज़मीन में वुसअत मिरी नज़र जैसी
आनिस मुईन
न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों
आनिस मुईन
मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरज
आनिस मुईन
मेरे अपने अंदर एक भँवर था जिस में
आनिस मुईन
कब बार-ए-तबस्सुम मिरे होंटों से उठेगा
आनिस मुईन
हज़ारों क़ुमक़ुमों से जगमगाता है ये घर लेकिन
आनिस मुईन
हमारी मुस्कुराहट पर न जाना
आनिस मुईन
हैरत से जो यूँ मेरी तरफ़ देख रहे हो
आनिस मुईन
गूँजता है बदन में सन्नाटा
आनिस मुईन
गया था माँगने ख़ुशबू मैं फूल से लेकिन
आनिस मुईन
गहरी सोचें लम्बे दिन और छोटी रातें
आनिस मुईन
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें
आनिस मुईन
बिखर के फूल फ़ज़ाओं में बास छोड़ गया
आनिस मुईन
बदन की अंधी गली तो जा-ए-अमान ठहरी
आनिस मुईन
अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहले
आनिस मुईन
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'
आनिस मुईन
अजब अंदाज़ से ये घर गिरा है
आनिस मुईन