Heart Broken Poetry (page 408)
आज ज़रा सी देर को अपने अंदर झाँक कर देखा था
आनिस मुईन
तू मेरा है
आनिस मुईन
एक नज़्म
आनिस मुईन
ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और
आनिस मुईन
ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा
आनिस मुईन
वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी
आनिस मुईन
वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है
आनिस मुईन
मिलन की साअ'त को इस तरह से अमर किया है
आनिस मुईन
कितने ही पेड़ ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ से उजड़ गए
आनिस मुईन
जीवन को दुख दुख को आग और आग को पानी कहते
आनिस मुईन
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और
आनिस मुईन
इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें
आनिस मुईन
बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है
आनिस मुईन
अजब तलाश-ए-मुसलसल का इख़्तिताम हुआ
आनिस मुईन
उस के चेहरे पे तबस्सुम की ज़िया आएगी
आनन्द सरूप अंजुम
नए ज़माने के नित-नए हादसात लिखना
आनन्द सरूप अंजुम
मैं डर रहा हूँ हर इक इम्तिहान से पहले
आनन्द सरूप अंजुम
लहू लहू आरज़ू बदन का लिहाफ़ होगा
आनन्द सरूप अंजुम
कुछ भी नहीं है पास तुम्हारी दुआ तो है
आनन्द सरूप अंजुम
हो गए आँगन जुदा और रास्ते भी बट गए
आनन्द सरूप अंजुम
हवा चली है न पत्ता कोई हिला अब तक
आनन्द सरूप अंजुम
हर शय आनी-जानी है
आनन्द सरूप अंजुम
हर दुआ होगी बे-असर न समझ
आनन्द सरूप अंजुम
आज़माइश में कटी कुछ इम्तिहानों में रही
आनन्द सरूप अंजुम
सलोनी सर्दियों की नज़्म
आमिर सुहैल
अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है
आमिर सुहैल
अब तुम को ही सावन का संदेसा नहीं बनना
आमिर सुहैल
यही तो एक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की
आलोक श्रीवास्तव
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं
आलोक श्रीवास्तव
ये और बात दूर रहे मंज़िलों से हम
आलोक श्रीवास्तव