Hope Poetry (page 212)
दिल देता है हिर-फिर के उसी दर पे सदाएँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पहला ख़ुत्बा
आशुफ़्ता चंगेज़ी
नजात
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ये भी नहीं बीमार न थे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सिलसिला अब भी ख़्वाबों का टूटा नहीं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सदाएँ क़ैद करूँ आहटें चुरा ले जाऊँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पता कहीं से तिरा अब के फिर लगा लाए
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पनाहें ढूँढ के कितनी ही रोज़ लाता है
आशुफ़्ता चंगेज़ी
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ख़बर तो दूर अमीन-ए-ख़बर नहीं आए
आशुफ़्ता चंगेज़ी
जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई
आशुफ़्ता चंगेज़ी
जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले
आशुफ़्ता चंगेज़ी
इतना क्यूँ शरमाते हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
हमारे बारे में क्या क्या न कुछ कहा होगा
आशुफ़्ता चंगेज़ी
घर की हद में सहरा है
आशुफ़्ता चंगेज़ी
दूर तक फैला समुंदर मुझ पे साहिल हो गया
आशुफ़्ता चंगेज़ी
धूप के रथ पर हफ़्त अफ़्लाक
आशुफ़्ता चंगेज़ी
बादबाँ खोलेगी और बंद-ए-क़बा ले जाएगी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
आँखों के सामने कोई मंज़र नया न था
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा
आनिस मुईन
था इंतिज़ार मनाएँगे मिल के दीवाली
आनिस मुईन
मैं अपनी ज़ात की तन्हाई में मुक़य्यद था
आनिस मुईन
क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरार
आनिस मुईन
दरकार तहफ़्फ़ुज़ है प साँस भी लेना है
आनिस मुईन
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'
आनिस मुईन
ये क़र्ज़ तो मेरा है चुकाएगा कोई और
आनिस मुईन
ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा
आनिस मुईन
वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है
आनिस मुईन
जीवन को दुख दुख को आग और आग को पानी कहते
आनिस मुईन
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और
आनिस मुईन