साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
ज़ब्त-ए-गिर्या
बरसात है दिल डस रहा है पानी
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
ख़ुद से न उदास हूँ न मसरूर हूँ मैं
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
मुबहम पयाम
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं