नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
बाग़ों पे छा गई है जवानी साक़ी
मुबहम पयाम
आज़ादि-ए-फ़िक्र ओ दर्स-ए-हिकमत है गुनाह
मेरे कमरे की छत पे है उस बुत का मकान
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
बरसात है दिल डस रहा है पानी
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे