वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
बरसात है दिल डस रहा है पानी
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
मेरे कमरे की छत पे है उस बुत का मकान
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
मुबहम पयाम
जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
जीना है तो जीने की मोहब्बत में मरो