Khawab Poetry of Mirza Ghalib

Khawab Poetry of Mirza Ghalib
नामग़ालिब
अंग्रेज़ी नामMirza Ghalib
जन्म की तारीख1797
मौत की तिथि1869
जन्म स्थानDelhi

या रब हमें तो ख़्वाब में भी मत दिखाइयो

ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर

सँभलने दे मुझे ऐ ना-उमीदी क्या क़यामत है

जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन

जल्वे का तेरे वो आलम है कि गर कीजे ख़याल

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन

हवस-ए-गुल के तसव्वुर में भी खटका न रहा

हस्ती के मत फ़रेब में आ जाइयो 'असद'

है ख़याल-ए-हुस्न में हुस्न-ए-अमल का सा ख़याल

है गै़ब-ए-ग़ैब जिस को समझते हैं हम शुहूद

है आदमी बजाए ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल

गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गार

दिल से मिटना तिरी अंगुश्त-ए-हिनाई का ख़याल

आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में

ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे

वारस्ता उस से हैं कि मोहब्बत ही क्यूँ न हो

तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है

सुर्मा-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ मिरी क़ीमत ये है

सियाही जैसे गिर जाए दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर

शब कि बर्क़-ए-सोज़-ए-दिल से ज़हरा-ए-अब्र आब था

सताइश-गर है ज़ाहिद इस क़दर जिस बाग़-ए-रिज़वाँ का

रुख़-ए-निगार से है सोज़-ए-जावेदानी-ए-शमा

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया

फिर हुआ वक़्त कि हो बाल-कुशा मौज-ए-शराब

पा-ब-दामन हो रहा हूँ बस-कि मैं सहरा-नवर्द

नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़ ब-आग़ोश-ए-रक़ीब

नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का

न लेवे गर ख़स-ए-जौहर तरावत सब्ज़ा-ए-ख़त से

ग़ालिब ख्वाब Poetry in Hindi - Read famous ख्वाब Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by ग़ालिब. Largest collection of ख्वाब Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by ग़ालिब. Share the ग़ालिब ख्वाब Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.