मैं ने जुनूँ से की जो 'असद' इल्तिमास-ए-रंग
ख़ून-ए-जिगर में एक ही ग़ोता दिया मुझे
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Wasi Shah
Parveen Shakir
Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1034) Peoples Rate This
क़त्अ कीजे न तअ'ल्लुक़ हम से
हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या
दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
आज हम अपनी परेशानी-ए-ख़ातिर उन से
यूसुफ़ उस को कहो और कुछ न कहे ख़ैर हुई
इश्क़ तासीर से नौमीद नहीं
अल्लाह रे ज़ौक़-ए-दश्त-नवर्दी कि बाद-ए-मर्ग
दे मुझ को शिकायत की इजाज़त कि सितमगर
हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में