नैरंगी-ए-सियासत-ए-दौराँ तो देखिए
मंज़िल उन्हें मिली जो शरीक-ए-सफ़र न थे
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Rahat Indori
Jaun Eliya
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उस से मिल कर उसी को पूछते हैं
लफ़्ज़ों के एहतियात ने मअ'नी बदल दिए
चाहत में क्या दुनिया-दारी इश्क़ में कैसी मजबूरी
क्या ख़बर थी हमें ये ज़ख़्म भी खाना होगा
एक मुद्दत की रिफ़ाक़त का हो कुछ तो इनआ'म
सरों की फ़स्ल काटी जा रही है
ये मेरे चारों तरफ़ किस लिए उजाला है
जिस का दर्द बटाओगे
'मोहसिन' और भी निखरेगा इन शेरों का मफ़्हूम
लफ़्ज़ों को ए'तिमाद का लहजा भी चाहिए
जाम-ए-तही क़ुबूल न था ग़म समो लिए
ज़िंदगी गुल है नग़्मा है महताब है