दिल इक ऐसा कासा है जिस की गहराई मत पूछो
जितने सिक्के डालोगे उतना ख़ाली रह जाएगा
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ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
दिल क़नाअत ज़रा सी करता तो
गए दिनों में ये इनआम होने वाला था
अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है
हर साँस नई साँस है हर दिन है मिरा दिन
आओ आँखें मिला के देखते हैं
नुक्ता यही अज़ल से पढ़ाया गया हमें
अगर ये चेहरा यूँही गर्द से अटा रहेगा
मानूस रौशनी हुई मेरे मकान से
कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को
अब ऐसे दश्त-मिज़ाजों से दूर घर लिया जाए