मैं हाव-हू पे कहानी को ख़त्म कर दूँगा
ये आम बात नहीं है, इसे ख़बर लिया जाए
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मोहब्बतों के लिए उम्र कम है सो वो शख़्स
नुक्ता यही अज़ल से पढ़ाया गया हमें
दिलों में ख़ौफ़ के चूल्हे की आग ठंडी हो
अगर ये चेहरा यूँही गर्द से अटा रहेगा
वस्ल नुक़सान कर गया मेरा
गले लगा के मुझे पूछ मसअला क्या है
हज़ार रस्ते तिरे हिज्र के इलाज के हैं
अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है
कई तरह के तहाइफ़ पसंद हैं उस को
कितने ख़्वाब समेटे कोई कितने दर्द कमाएगा
बर्फ़ पिघली तो रास्ता निकला
ज़िंदगी देख तिरी ख़ास रिआयत होगी