Coupletss of Sajjad Baqar Rizvi

Coupletss of Sajjad Baqar Rizvi
नामसज्जाद बाक़र रिज़वी
अंग्रेज़ी नामSajjad Baqar Rizvi
जन्म की तारीख1928
मौत की तिथि1993
जन्म स्थानKarachi

ज़ुल्फ़ें इधर खुलीं अधर आँसू उमँड पड़े

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर

शहर के आबाद सन्नाटों की वहशत देख कर

सामान-ए-दिल को बे-सर-ओ-सामानियाँ मिलीं

फिरती थी ले के शोरिश-ए-दिल कू-ब-कू हमें

फिर ज़ेहन की गलियों में सदा गूँजी है कोई

पहले चादर की हवस में पाँव फैलाए बहुत

मन धन सब क़ुर्बान किया अब सर का सौदा बाक़ी है

मैं सरगिराँ था हिज्र की रातों के क़र्ज़ से

मैं हम-नफ़साँ जिस्म हूँ वो जाँ की तरह था

क्या क्या न तिरे शौक़ में टूटे हैं यहाँ कुफ़्र

खींचे है मुझे दस्त-ए-जुनूँ दश्त-ए-तलब में

हर रंग हर आहंग मिरे सामने आजिज़

हमारे दम से है रौशन दयार-ए-फ़िक्र-ओ-सुख़न

दो किनारे हों तो सैल-ए-ज़िंदगी दरिया बने

छलकी हर मौज-ए-बदन से हुस्न की दरिया-दिली

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