अजब नहीं कि इसी बात पर लड़ाई हो
मुआहिदा ये हुआ है कि अब लड़ेंगे नहीं
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(396) Peoples Rate This
वो जा चुका है तो क्यूँ बे-क़रार इतने हो
वैसे तो इक दूसरे की सब सुनते हैं
न मिले वो तो तलाश उस की भी रहती है मुझे
आरज़ू की बे-हिसी का गर यही आलम रहा
लेते हैं लोग साँस भी अब एहतियात से
मुझे बस इतनी शिकायत है मरने वालों से
कोई तो रात को देखेगा जवाँ होते हुए
तेरी क़ुर्बत में गुज़ारे हुए कुछ लम्हे हैं
चुप के आलम में वो तस्वीर सी सूरत उस की
गोशा-ए-दिल की ख़मोशी का तमन्नाई मैं
जो दिल में खटकती है कभी कह भी सकोगे
दिल का बुरा नहीं मगर शख़्स अजीब ढब का है