वो हम से ख़फ़ा हैं हम उन से ख़फ़ा हैं
मगर बात करने को जी चाहता है
Gulzar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1335) Peoples Rate This
दूर हैं वो और कितनी दूर
तिरे बग़ैर अजब बज़्म-ए-दिल का आलम है
नज़र-नवाज़ नज़ारों में जी नहीं लगता
रिंद-ए-ख़राब-नोश की बे-अदबी तो देखिए
उन से उम्मीद-ए-रू-नुमाई है
शोख़ नज़रों में जो शामिल बरहमी हो जाएगी
लम्हे उदास उदास फ़ज़ाएँ घुटी घुटी
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रहमतों से निबाह में गुज़री
दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो
वो हवा दे रहे हैं दामन की
जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं