अज़ीज़ो इस को न घड़ियाल की सदा समझो
ये उम्र-ए-रफ़्ता की अपनी सदा-ए-पा समझो
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Gulzar
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(512) Peoples Rate This
एहसान ना-ख़ुदा का उठाए मिरी बला
लेते हैं समर शाख़-ए-समरवर को झुका कर
सब को दुनिया की हवस ख़्वार लिए फिरती है
नाज़ुक-कलामियाँ मिरी तोड़ें अदू का दिल
जो कुछ कि है दुनिया में वो इंसाँ के लिए है
बजा कहे जिसे आलम उसे बजा समझो
ऐ शम्अ तेरी उम्र-ए-तबीई है एक रात
कौन वक़्त ऐ वाए गुज़रा जी को घबराते हुए
दिल बचे क्यूँकर बुतों की चश्म-ए-शोख़-ओ-शंग से
लेते ही दिल जो आशिक़-ए-दिल-सोज़ का चले
गुहर को जौहरी सर्राफ़ ज़र को देखते हैं