कच्ची दीवारों को पानी की लहर काट गई
पहली बारिश ही ने बरसात की ढाया है मुझे
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1504) Peoples Rate This
मैं ने कब बर्क़-ए-तपाँ मौज-ए-बला माँगी थी
सियाह पट्टी
वो बाद-ए-गर्म था बाद-ए-सबा के होते हुए
हमारी गर्दिश-ए-पा रास्तों के काम आई
कई कोठे चढ़ेगा वो कई ज़ीनों से उतरेगा
था हर्फ़-ए-शौक़ सैद हुआ कौन ले गया
जाते मौसम ने जिन्हें छोड़ दिया है तन्हा
शफ़क़-सिफ़ात जो पैकर दिखाई देता है
क्यूँ मता-ए-दिल के लुट जाने का कोई ग़म करे
हाए ये अपनी सादा-मिज़ाजी एटम के इस दौर में भी
ऐसा क्यूँ होता है
कोई टूटा हुआ रिश्ता न दामन से उलझ जाए