एक रेज़ा तिरे तबस्सुम का
उड़ गया था शराब-ख़ाने से
हौज़-ए-कौसर बना दिया जिस को
वाइज़ों ने किसी बहाने से
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1144) Peoples Rate This
इतना तो दोस्ती का सिला दीजिए मुझे
आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी
हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
ज़िंदगी है इक किराए की ख़ुशी
तख़लीक़-ए-काएनात के दिलचस्प जुर्म पर
देख कर दिल-कशी ज़माने की
अब मिरी हालत-ए-ग़मनाक पे कुढ़ना कैसा
मय-कदा है यहाँ सकूँ से बैठ
ऐ ख़राबात के ख़ुदावंदो
दफ़्न हैं साग़रों में हंगामे
मैं रास्ते का बोझ हूँ मेरा न कर ख़याल
काफ़ी वसीअ सिलसिला-ए-इख़्तियार है