Heart Broken Poetry of Abdul Hamid

Heart Broken Poetry of Abdul Hamid
नामअब्दुल हमीद
अंग्रेज़ी नामAbdul Hamid
जन्म की तारीख1953
जन्म स्थानAllahabad

ज़वाल-ए-जिस्म को देखो तो कुछ एहसास हो इस का

ये क़ैद है तो रिहाई भी अब ज़रूरी है

पाँव रुकते ही नहीं ज़ेहन ठहरता ही नहीं

लौट गए सब सोच के घर में कोई नहीं है

फ़लक पर उड़ते जाते बादलों को देखता हूँ मैं

एक मिश्अल थी बुझा दी उस ने

दम-ब-दम मुझ पे चला कर तलवार

बरसते थे बादल धुआँ फैलता था अजब चार जानिब

उसे देख कर अपना महबूब प्यारा बहुत याद आया

साए फैल गए खेतों पर कैसा मौसम होने लगा

पाँव रुकते ही नहीं ज़ेहन ठहरता ही नहीं

कुछ अपना पता दे कर हैरान बहुत रक्खा

कितनी महबूब थी ज़िंदगी कुछ नहीं कुछ नहीं

किसी का क़हर किसी की दुआ मिले तो सही

किसी दश्त ओ दर से गुज़रना भी क्या

कभी देखो तो मौजों का तड़पना कैसा लगता है

एक मिश्अल थी बुझा दी उस ने

एक ख़ुदा पर तकिया कर के बैठ गए हैं

दिल में जो बात है बताते नहीं

अब्दुल हमीद Heart Broken Poetry in Hindi - Read famous Heart Broken Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अब्दुल हमीद. Largest collection of Heart Broken Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अब्दुल हमीद. Share the अब्दुल हमीद Heart Broken Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.