Coupletss of Abdussamad ’Tapish’
नाम | अब्दुस्समद ’तपिश’ |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdussamad ’Tapish’ |
कविताएं
Ghazal 11
Couplets 18
Love 9
Sad 8
Heart Broken 9
Hope 3
Friendship 1
Islamic 3
Social 2
ख्वाब 1
ये मैं हूँ ख़ुद कि कोई और है तआक़ुब में
वो बड़ा था फिर भी वो इस क़दर बे-फ़ैज़ था
वक़्त के दामन में कोई
वही क़ातिल वही मुंसिफ़ बना है
उसे खिलौनों से बढ़ कर है फ़िक्र रोटी की
उन के लब पर मिरा गिला ही सही
सब को दिखलाता है वो छोटा बना कर मुझ को
न जाने कौन फ़ज़ाओं में ज़हर घोल गया
मैं ने जो कुछ भी लिक्खा है
मैं भी तन्हा इस तरफ़ हूँ वो भी तन्हा उस तरफ़
क्यूँ वो मिलने से गुरेज़ाँ इस क़दर होने लगे
कुछ हक़ाएक़ के ज़िंदा पैकर हैं
कोई कॉलम नहीं है हादसों पर
कौन पत्थर उठाए
जहाँ तक पाँव मेरे जा सके हैं
जफ़ा के ज़िक्र पे वो बद-हवास कैसा है
हवा-ए-तुंद कैसी चल पड़ी है
अब निशाना उस की अपनी ज़ात है