Heart Broken Poetry of Ahmad Ata

Heart Broken Poetry of Ahmad Ata
नामअहमद अता
अंग्रेज़ी नामAhmad Ata

ये तिरा हिज्र अता दर्द अता कर्ब अता

उस का बदन है राग सा राग भी एक आग सा

सड़क पे बैठ गए देखते हुए दुनिया

कोई ऐसा तो तिरे ब'अद नहीं रहना था

हम आस्तान-ए-ख़ुदा-ए-सुख़न पे बैठे थे

हँसते हँसते हो गया बर्बाद मैं

हमारी उम्र से बढ़ कर ये बोझ डाला गया

बाग़-ए-हवस में कुछ नहीं दिल है तो ख़ुशनुमा है दिल

ये मिरा वहम तो कुछ और सुना जाता है

ये अक्स आप ही बनते हैं हम से मिलते हैं

वो ज़माना है कि अब कुछ नहीं दीवाने में

पहले हम अश्क थे फिर दीदा-ए-नम-नाक हुए

मैं तिरी मानता लेकिन जो मिरा दिल है ना

ख़्वाब का इज़्न था ता'बीर-ए-इजाज़त थी मुझे

इश्क़ से भाग के जाया भी नहीं जा सकता

हुई ग़ज़ल ही न कुछ बात बन सकी हम से

हमारी आँखें भी साहिब अजीब कितनी हैं

हमारा इश्क़ सलामत है यानी हम अभी हैं

इक अश्क बहा होगा

बेबसी ऐसी भी होती है भला

ऐ मियाँ कौन ये कहता है मोहब्बत की है

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