Coupletss of Bahadur Shah Zafar (page 2)

Coupletss of Bahadur Shah Zafar (page 2)
नामज़फ़र
अंग्रेज़ी नामBahadur Shah Zafar
जन्म की तारीख1775
मौत की तिथि1862
जन्म स्थानDelhi

जो तू हो साफ़ तो कुछ मैं भी साफ़ तुझ से कहूँ

इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल

इधर ख़याल मिरे दिल में ज़ुल्फ़ का गुज़रा

हम ही उन को बाम पे लाए और हमीं महरूम रहे

हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ

हो गया जिस दिन से अपने दिल पर उस को इख़्तियार

हाथ क्यूँ बाँधे मिरे छल्ला अगर चोरी हुआ

हमदमो दिल के लगाने में कहो लगता है क्या

हाल-ए-दिल क्यूँ कर करें अपना बयाँ अच्छी तरह

ग़ज़ब है कि दिल में तो रक्खो कुदूरत

फ़रहाद ओ क़ैस ओ वामिक़ ओ अज़रा थे चार दोस्त

दिल को दिल से राह है तो जिस तरह से हम तुझे

देख दिल को मिरे ओ काफ़िर-ए-बे-पीर न तोड़

दौलत-ए-दुनिया नहीं जाने की हरगिज़ तेरे साथ

चाहिए उस का तसव्वुर ही से नक़्शा खींचना

बुत-परस्ती जिस से होवे हक़-परस्ती ऐ 'ज़फ़र'

बुराई या भलाई गो है अपने वास्ते लेकिन

बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला

बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़

बनाया ऐ 'ज़फ़र' ख़ालिक़ ने कब इंसान से बेहतर

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

औरों के बल पे बल न कर इतना न चल निकल

ऐ वाए इंक़लाब ज़माने के जौर से

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