इस तरह कुछ बदल गई है ज़मीं
हम को अब ख़ौफ़-ए-आसमाँ न रहा
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मरहूम तमन्नाओं को क्या याद करें
महफ़िलों में जा के घबराया किए
अलविदा'अ
मुझे दुश्मन से अपने इश्क़ सा है
हज़ार चाहा लगाएँ किसी से दिल लेकिन
एक तूफ़ाँ की तरह कब से किनारा-कश है
ख़ूँ हो के टपकती है तमन्ना देखो
मेरे सनम-कदे में कई और बुत भी हैं
बरसों पढ़ कर सरकश रह कर ज़ख़्मी हो कर समझा मैं
आईना क्या किस को दिखाता गली गली हैरत बिकती थी
दर्द-ए-दिल आज भी है जोश-ए-वफ़ा आज भी है
ये किस जगह पे क़दम रुक गए हैं क्या कहिए