सब होंगे उस से अपने तआरुफ़ की फ़िक्र में
मुझ को मिरे सुकूत से पहचान जाएगा
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(999) Peoples Rate This
रिंद जन्नत में जा भी चुके
वो आँख क्या जो आरिज़ ओ रुख़ पर ठहर न जाए
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर
ग़म हर इक आँख को छलकाए ज़रूरी तो नहीं
कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
जब सफ़ीना मौज से टकरा गया
तिरे वादों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए
ग़म से नाज़ुक ज़ब्त-ए-ग़म की बात है
मुझे प्यार से तिरा देखना मुझे छुप छुपा के वो देखना
क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात भी क्या चीज़ है 'फ़ना'