अंदाज़ा आदमी का कहाँ गर न हो शराब
पैमाना ज़िंदगी का नहीं गर सुबू न हो
Anwar Masood
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
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दुनिया है अजब बू-क़लमूँ ज़िद-आमोज़
दुनिया का अजब रंग से देखा अंगेज़
क्या आ के जहाँ में कर गए हम
कौन जाने था उस का नाम-ओ-नुमूद
थक थक गए हैं आशिक़ दरमांदा-ए-फ़ुग़ाँ हो
न ये है न वो है न मैं हूँ न तू है
याँ नफ़्स की शोख़ी से है मजनूँ लैला
कल तक थी ख़ुल्द ख़ाना-ज़ाद-ए-देहली
याँ हम को दिया क्या जो वहाँ पर हो निगाह
कहिए क्या और फ़ैसले की बात
या-रब तुझे फ़िक्र-पा-ए-बंदी क्या है
तेरा दीवाना तो वहशत की भी हद से निकला