Coupletss of Hafeez Jalandhari (page 2)

Coupletss of Hafeez Jalandhari (page 2)
नामहफ़ीज़ जालंधरी
अंग्रेज़ी नामHafeez Jalandhari
जन्म की तारीख1900
मौत की तिथि1982
जन्म स्थानLahore

मिरी मजबूरियाँ क्या पूछते हो

मिरे डूब जाने का बाइस न पूछो

मिरा तजरबा है कि इस ज़िंदगी में

मैं वो बस्ती हूँ कि याद-ए-रफ़्तगाँ के भेस में

मबादा फिर असीर-ए-दाम-ए-अक़्ल-ओ-होश हो जाऊँ

क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

कोई चारा नहीं दुआ के सिवा

किस मुँह से कह रहे हो हमें कुछ ग़रज़ नहीं

ख़ुदा को न तकलीफ़ दे डूबने में

ख़ामोश हो गईं जो उमंगें शबाब की

कैसे बंद हुआ मय-ख़ाना अब मालूम हुआ

जिस ने इस दौर के इंसान किए हैं पैदा

जैसे वीराने से टकरा के पलटती है सदा

इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ

इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी

इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था

हम से ये बार-ए-लुत्फ़ उठाया न जाएगा

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना

हाँ मैं तो लिए फिरता हूँ इक सजदा-ए-बेताब

हाँ कैफ़-ए-बे-ख़ुदी की वो साअत भी याद है

हमेशा के लिए ख़ामोश हो कर

है मुद्दआ-ए-इश्क़ ही दुनिया-ए-मुद्दआ

'हफ़ीज़' अपनी बोली मोहब्बत की बोली

'हफ़ीज़' अहल-ए-ज़बाँ कब मानते थे

हाए कोई दवा करो हाए कोई दुआ करो

दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब

दिल सभी कुछ ज़बान पर लाया

दिल ने आँखों तक आने में इतना वक़्त लिया

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